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कोरोना से जंग – माँ के संग : डॉ० सुधांशु शेखर

मधेपुरा : मुकेश कुमार –
यह मातृ दिवस ऐसे समय में आया है, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कहर से डरी-सहमी है। ऐसे में कोरोना से जंग में माँ से आशीर्वाद माँगा जा रहा है। बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने मातृ दिवस पर कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने अपने यू-ट्यूब चैनल एवं फेसबुक पर कोरोना से लड़ाई में उपयोगी अपनी नानी माँ सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) की बातों को शेयर किया। उन्होंने कोरोना उन्मूलन में कारगर हो सकने वाले नानी माँ के नुस्खों को ‘शेयर’ किया है।

1. एक स्वतंत्रता सेनानी की सहधर्मिणी के रूप में नानी माँ के लिए देश-प्रेम सर्वोपरि था। उन्होंने अपने हाथों पर ‘जय हिंद’ गुदबा रखा था और यही उनके दिलों पर भी अंकित था। आज कोरोना से जंग में देश-प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत माता एवं धरती माता के आशीर्वाद आवश्यक है।

2. नानी माँ हमेशा कहती थीं कि इलाज से परहेज अच्छा होता है। अतः हमें संयम, सूचिता एवं सादगी का जीवन जीना चाहिए, ताकि कोरोना या कोई अन्य महामारी हो ही नहीं। हमें प्रकृति-पर्यावरण की ओर लौटना होगा। हम संयम, सुचिता एवं सादगी पर आधारित पारंपरिक जीवनशैली को अपनाकर ऐसी महामारियों से बच सकते हैं और स्वस्थ एवं दीघार्यू जीवन का आनंद ले सकते हैं। हमें प्रकृति माँ की शरण में जाना होगा।

3. कोरोना से लड़ने के लिए हमें आपस में भौतिक दूरी रखनी है- सामाजिक एवं भावनात्मक दूरी नहीं रखनी है। पहले घर में जब किसी को चेचक (माता) होता था, तो उन्हें घर के एक कमरे में ‘आइसोलेट’ कर दिया जाता था। उसके पास नीम की पत्तियां एवं हल्दी के टुकड़े रखे जाते थे और धूमना-गूगल आदि जलाकर वायरस को मारने का प्रयास किया जाता था। नानी माँ किसी को भी रोगी से मिलने नहीं देती थीं, लेकिन रोगी के प्रति भावनात्मक लगाव में कोई कमी नहीं करती थीं। हम कोरोना से दूर रहें, लेकिन कोरोना पीड़ितों से घृणा नहीं करें। हमें माँ से सीखना चाहिए। माँ कभी भी बच्चों से घृणा नहीं करती हैं। माँ बच्चों के पैसाब एवं पाखाना भी खुशी-खुशी साफ करती हैं।

4. नानी माँ का यह दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता ही देवत्व है। हम हमेशा आंतरिक एवं बाह्य स्वच्छता का ध्यान रखें। अपने घर, आस-पड़ोस, शरीर, कपड़े आदि को स्वच्छ रखें। जूता-चप्पल घर के बाहर खोलें और पैर-हाथ धोकर कमरे में प्रवेश करें। रसोई घर मे किसी भी कीमत पर जूता-चप्पल पहनकर नहीं घुसें। खाने के पहले और बाद हाथों को राख से साफ करें। शौचालय और स्नानघर की साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।

5. नानी माँ का मानना था कि हम दिखावटी व्यायाम नहीं करें, बल्कि उत्पादक शारीरिक श्रम करें। जाँता-चक्की में दाल पिसें, ऊंखल में चावल-चूड़ा कूंटें एवं मथानी से घी निकालें। घर में साग-सब्जियाँ एवं आवश्यक फलों का उत्पादन करें। सूत काटें और पेंटिंग या चित्र आदि बनाएँ। आज जिनको ऐसी आदतें होंगी, उनका लाॅकडाउन का समय आसानी से कट रहा होगा।

6. नानी माँ हमेशा कहती थीं कि आपात दिनों के लिए खाद्य पदार्थ तैयार कर रखें। बड़ी, झूड़ी एवं सुखौता आदि बनाएँ, जो सब्जियों का विकल्प हो सकते हैं। साथ ही अचार, अमौठ आदि हमारा स्वाद बढ़ा सकते हैं। साथ ही घर में पकवान, पेड़ा, तिलबा आदि बनाएँ बाजार की चीजें कम खाएँ।

आज लाॅकडाउन में नानी माँ की बातें मुझे काफी सकुन दे रही हैं। आपको भी आपकी नानी-दादी, मौसी-बूआ, माँ-चाची आदि ने ऐसी कई बातें बताई होंगी। संभव है कि तब उस समय हमें उनकी बातें पुरातनपंथी लगी हों। लेकिन आज फिर से उन्हें याद कीजिए वे बातें आपके दिलों को सकुन देंगी और परिवार एवं समाज को राहत भी। माँ तुझे सलाम!

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