पटना : कोसी-सीमांचल में टिकट के दावेदारों की फेहरिस्त काफी लंबी है। पूर्व की तरह रहनुमाओं द्वारा मजहब और जाति का मीठा जहर पिलाकर सामूहिक मतान्धता पैदा करने की कोशिश हो रही है। अभी तक सीट बंटवारा नहीं होने से टिकट के दावेदारों की बेचैनी बढ़ी हुई है। इधर, टिकट के लिए कई लाइन में लगे हुए हैं। दल छोड़ने का सिलसिला भी शुरू है।
आज की तारीख में संभावनाओं के आकाश में कल्पनाओं का परवाज जारी है।
आनंद मोहन, पप्पू यादव व उदय का पड़ेगा असर
यहां बता दें कि टिकट को लेकर फिलहाल कोसी-सीमांचल में अनिश्चय की स्थिति है। यहां किसका जादू चलेगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। लेकिन यह तय है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी का कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करना, पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह का भाजपा से मोहभंग होना, सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का राजद में नहीं रहना आदि का कहीं न कहीं असर पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता। बता दें कि कोसी के इलाके में शायद ही कोई ऐसा गांव हो जहां पूर्व सांसद आनंद मोहन के समर्थक न हों। पप्पू यादव की भी यहां पकड़ है और इलाके में समर्थक भी। उदय सिंह के बारे में बताया जाता है कि सीमांचल के कई विधानसभा क्षेत्रों में उनका असर है।
एक तीर से कई शिकार की फिराक में शरद
छनकर मिली जानकारी के मुताबिक, राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने शरद यादव को साफ कर दिया है कि उन्हें राजद के सिंबल पर ही चुनाव लड़ना होगा। बताया जा रहा है कि यह सुनने के बाद से वे अंदर ही अंदर लाल हैं। शरद कांग्रेस में जाकर एक तीर से कई शिकार करने की फिराक में हैं। बताया जाता है कि इस मुत्तलिक कांग्रेसी दिग्गजों के साथ शरद की दिल्ली में गुफ्तगू भी हुई है।
कुछ भी देख सकते हैं आप
कहते हैं कि राजनीति यदि राष्ट्रहित और जनता के भले के लिए की जाए तो सत्ता पर आसीन किसी भी राजनीतिक दल का कभी पतन नहीं हो सकता। लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। ऐसे में जबकि राजनीति में नीति-सिद्धांत व नैतिकता कोई मायने नहीं रखती, आनेवाले दिनों में आप कुछ भी देख सकते हैं।
मोदी महालहर में जीती हुई सीटें हार गई थी भाजपा
यहां यह भी बता दें कि 2014 में मोदी महालहर में भी कोसी-सीमांचल में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। चाहे पूर्णिया हो या कटिहार, या फिर अररिया हो या किशनगंज। जीती हुई सीटें भी भाजपा हार गई थी। इसी तरह सुपौल से रंजीत रंजन तो मधेपुरा से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जीत का परचम लहराया था।
बीजेपी के साथ गलबहियां से मुस्लिम मतदाता नाराज
राजनीति का एक टोटका होता है, जो नहीं हो देखो। वही आज तक होता आया है और आगे भी होगा।
कोई कुछ कह ले लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि
जेडीयू से मुस्लिम वोटर खिसक रहे हैं। राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि अब पहले वाली बात नहीं रही।
मुस्लिमों का नीतीश से मोहभंग हुआ है। बता दें कि उपचुनाव में जदयू 70 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली अपनी परंपरागत जोकीहाट (अररिया) सीट नहीं बचा पाई। इस सीट पर साल 2005 से ही जेडीयू का कब्जा था। राजनीतिक टीकाकारों का मानना है कि नीतीश के लालू को छोड़कर बीजेपी के साथ गलबहियां से मुस्लिम मतदाता खासे नाराज हैं।
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, कोसी- सीमांचल में नीतीश का जनाधार खिसका है। गौरतलब है कि जोकीहाट उपचुनाव में लालू की पार्टी आरजेडी के शहनवाज आलम ने जेडीयू उम्मीदवार मुर्शीद आलम को 41,224 वोटों से हराया था। कुल मिलाकर, आगे-आगे देखिए होता है क्या।