मधेपुरा: आज मधेपुरा ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन कार्यालय में जिला उपाध्यक्ष विकास कुमार राजा के नेतृत्व में वीरांगना फूलन देवी का पुण्यतिथि मनाया गया और उन्हें नमन किया गया ।
मौके पर मौजूद यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई० मुरारी ने कहा कि
फूलन को बेहमई गांव में एक घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया था। तीन सप्ताह की अवधि में कई पुरुषों उसे पीटा गया, बलात्कार किया गया और अपमानित किया गया। उन्होंने उसे गाँव के चारों ओर नग्न कर घुमाया। इस तीन सप्ताह की कैद से वह भागने में सफल रहींबेहमाई से भागने के कई महीनों बाद, फूलन बदला लेने के लिए गाँव लौटी। 14 फरवरी 1981 की शाम को, उस समय जब गाँव में एक शादी चल रही थी, फूलन और उसके गिरोह ने पुलिस अधिकारियों के रूप में पहनी हुई बेहमई में शादी की। फूलन ने मांग की कि उनके “श्री राम” और “लाला राम” को उत्पीड़ित किया जाए। उन्होंने कथित तौर पर कहा, दो व्यक्तियों को नहीं मिला। और इसलिए देवी ने गाँव के सभी युवकों को गोल कर दिया और एक कुएँ से पहले एक लाइन में खड़ा कर दिया। फिर उन्हें फाइल में नदी तक ले जाया गया। हरे तटबंध पर उन्हें घुटने टेकने का आदेश दिया गया। गोलियों की बौछार हुई और 22 लोग मारे गए। बेहमई नरसंहार ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी॰पी॰ सिंह ने बेहमाई हत्याओं के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया।आज वही फूलन देवी का हमलोग पुण्यतिथि मना रहे हैं और उनके विचारों को फैला रहे हैं।
इंदल यादव व फंटूश कुमार यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ सभी मामलों को वापस ले लिया। इस कदम ने पूरे भारत में सदमे की लहर भेज दी और सार्वजनिक चर्चा और विवाद का विषय बन गया।
आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में (रॉबिनहुड) की तरह गरीबों का पैरोकार समझा जाता था। सबसे पहली बार (1981) में वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होने ऊँची जातियों के बाइस लोगों का एक साथ तथाकथित (नरसंहार) किया जो (मैना दादी) जाति के (पिछड़े) लोग थे। लेकिन बाद में उन्होने इस नरसंहार से इन्कार किया था।फूलन देवी एक महान देवी बनकर देश में उभरी थी उन्हें विनम्र शृद्धाजंलि।
कार्यक्रम में पुष्पक कुमार, बादल कुमार, गौतम कुमार, ओम कुमार, अजित कुमार, सुसब कुमार, हिमांशु कुमार, विवेक कुमार,अंकेश कुमार आदि दर्जनों छात्र संघ नेता मौजूद थे।।