चाइना विवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित वर्चुअल सर्वदलीय मीटिंग ने सारी दुनिया को इस बात का संदेश दे दिया है कि भारत के राजनीतिक दलों के नेताओं में चाहे कितने मतभेद हों, लेकिन देश पर जब आंच आती है तो वे सब एकजुट होकर देश की सरहद की रक्षा करने को तैयार हो जाते हैं। राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देश की 130 करोड़ जनता भी देश के दुश्मनों से लोहा लेने के एकजुट हो जाती है।
शुक्रवार को आयोजित इस वर्चुअल मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाइना विवाद के बारे में सभी सियासी दलों को चाइना विवाद के बारे में विश्वास में लिया। दूसरी ओर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भी प्रधानमंत्री द्वारा उठाये गये कदमों पर भरोसा जताते हुए देश की अखण्डता बनाये रखने के लिए एकजुटता का परिचय दिया। हालांकि, इस मीटिंग में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह जरूर कहा कि, ‘प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर बहुत पहले ही सर्वदलीय मीटिंग बुलाकर विपक्षी दलों को विश्वास में लेना चाहिए था’, तथापि उन्होंने भी पूरे विपक्ष के साथ चाइना मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होने का संदेश दिया। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा विदेश मंत्री एस. जयशंकर मौजूद थे। इनके अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राक्रांपा प्रमुख शरद पवार, डी राजा, सीताराम येचुरी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी समेत विभिन्न दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी को आश्वस्त किया कि, ‘भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘हमारी एक इंच जमीन की तरफ कोई आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। सरकार ने सेना को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए खुली छूट दे रखी है।’
यह स्पष्ट हो चुका है कि 15 जून की रात को चाइना की ओर से भारतीय सेना के कमांडिंग आफिसर तथा अन्य सैनिकों पर किया गया हमला सुनियोजित था। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट भी शहीद सैनिकों के साथ की गयी बर्बरता की दास्तां को दोहरा रही है। यही नहीं, चाइना ने इस हमले के दौरान हमारे दस सैनिकों को बंधक बना लिया था, जिसे भारत के सख्त दबाव के बाद गुरुवार को रिहा किया गया।
इसके बाद सैन्य स्तर पर पुनः बातचीत शुरू हो गयी है, लेकिन चाइना की अभी तक की कायरना और दगाबाजी की हरकतों को देखते हुए भारत ने वार्ता के साथ-साथ किसी भी स्थिति से निपटने की सीमा पर मुकम्मल तैयारी शुरू कर दी है। इसी को देखते हुए वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने लेह और लद्दाख स्थित एयरबेस का दौरा किया तथा दो दिन वहां रुककर तैयारियों का जायजा लिया। उधर गलवां घाटी पर भारत द्वारा बनाया जा रहा पुल भी बनकर तैयार हो गया है। चाइना इसी पुल का अरसे से विरोध कर रहा है। यही नहीं, चाइना गलवां घाटी पर भी अपना अधिकार जता रहा है, लेकिन भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि चाइना अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो कोरोना वायरस के साथ-साथ इस मुद्दे पर भी मुंह की खानी पड़े ।