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सफलता से इतराएँ नहीं और असफलता से घबड़ाएँ नहीं : डॉ० सुधांशु शेखर

राजा कुमार / मधेपुरा
परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर अपना मूल्यांकन नहीं करें।आप स्वयं अपना आत्म मूल्यांकन करें। आप दुनिया में अद्वितीय हैं। उसी काम में लगें जो आप अच्छे तरीके से कर सकते हैं। दूसरों से अपनी तुलना नहीं करें और दूसरों की नकल से दूर रहें।

यह बात असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (दर्शनशास्त्र) एवं जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) डाॅ. सुधांशु शेखर ने कही। वे गुरूवार को सफलता से इतराएँ नहीं और असफलता से घबड़ाएँ नहीं विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। व्याख्यान का आयोजन यू-ट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद पर किया गया।

उन्होंने कहा कि सीबीएसई बोर्ड के दसवीं एवं बारहवीं का परिणाम घोषित कर दिया गया है। जिन विद्यार्थियों ने अत्यधिक अंक लाए हैं, वे और उनके परिजन जश्न मना रहे हैं। जिन्हें कम अंक आया है, वे और उनके परिजन निराश हैं। लेकिन दोनों को विवेक से काम लेना चाहिए।

उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे सीबीएसई के परिणाम जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातों को याद रखें, “एक परीक्षा यह परिभाषित नहीं करती है कि आप कौन हैं”। आगे उन्होंने अपने वक्तव्य में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का अपने पुत्र के शिक्षक के नाम लिखे पत्र को उद्धृत किया। इसमें कहा गया है, “धोखे से सफलता पाने से असपफल होना सम्माननीय है।”

उन्होंने कहा कि सफलता कोई वैल्यू नहीं है, सफलता कोई मूल्य नहीं है। सफल नहीं सुफल होना चाहिए!” एक आदमी बुरे काम में सफल हो जाए, इससे बेहतर है कि एक आदमी भले काम में असफल हो जाए। सम्मान काम से होना चाहिए, सफलता से नहीं।

उन्होंने बताया कि महात्मा गाँधी बिल्कुल साधारण विद्यार्थी थे। एक बार उन्होंने आत्महत्या करने की भी सोची थी ? लेकिन उन्होंने वैसा नहीं किया और आज वे करोड़ों लोगों के प्रेरणास्त्रोत बने हैं।

एक वैज्ञानिक एडिशन ने 999 बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी। आज उसका आविष्कार हमें रौशनी दे रहा है।

उन्होंने अपने बारे में भी बताया कि वे मैट्रिक एवं इंटर में सेकेंड रहे। इसके बावजूद मैं असिस्टेंट प्रोफ़ेसर बने

ऐसे ही कई प्रेरक प्रसंग और कुछ व्यक्तिगत अनुभवों के साथ उन्होंने विद्यार्थियों को यह संदेश दिया कि जीवन सबसे अधिक मूल्यवान है। जीवन से बढ़कर कूछ भी नहीं है।

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