पटना [ ]जन अधिकार पार्टी के संरक्षक पप्पू यादव ने कहा है की सिर्फ मुजफ्फरपुर ही नहीं सभी बालिका गृह में जो यौन उत्पीडऩ की शिकार हुई है ओह सभी को मुआवजा मिलनी चाहिए,
जन अधिकार पार्टी के आन्दोलन का ही असर है की पटना हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह के अंदर पीड़िता को मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। साथ में यह भी ध्यान रखना है कि किसी भी लड़की का नाम उजागर नहीं हो पाए। इस कार्य के लिए बिहार स्टेट लीगल सर्विसेस अथॉरिटी (बालसा) एवं नेशनल लीगल सर्विसेस अथॉरिटी (नालसा) को जिम्मेदारी दी गई है।
सुनवाई के समय सीबीआइ के डीआइजी भी मौजूद थे। उनकी ओर से जानकारी दी गई कि सीबीआइ एसपी को हटाया नहीं गया था। स्वास्थ्य कारणों से उन्हें स्थानांतरित किया गया है। एसपी के स्थानांतरण संबंधी संचिका को मुख्य न्यायाधीश ने अपने चैम्बर में देखा।
सीबीआइ के वकील ने कहा कि इस मामले की निगरानी विभा कुमारी कर रही हैं जो हर मायने में सक्षम हैं। मुजफ्फरपुर एवं अन्य शेल्टर होम में हुए यौन उत्पीडऩ की जांच कार्य उसी इंस्पेक्टर को सौंपा गया है। यह भी बताया कि सीबीआइ में अधिकारियों की कमी है। बावजूद इसके जांच में कोताही नहीं बरती जा रही है।
मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह एवं न्यायाधीश डॉ. रविरंजन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को लगभग सारे दिन मामले पर सुनवाई हुई । अधिवक्ता शमा सिन्हा एवं अधिवक्ता अलका वर्मा ने खंडपीठ से अन्य पहलुओं पर भी विचार करने का अनुरोध किया जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
खंडपीठ ने राज्य सरकार से यह भी जनाना चाहा कि गैर सरकारी स्वयं सेवी संस्थाओं पर नियंत्रण कैसे होता है। जवाब में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि इन संस्थानों को अनुमति राज्य सरकार देती है। साथ ही आंर्थिक सहायता प्रदान करती है। लेकिन अब सरकार स्वयं इनका संचालन करेगी।
इस मामले पर बुधवार को भी विस्तृत सुनवाई होगी। गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर एवं अन्य शेल्टर होम में हुए यौन उत्पीडऩ से जुड़े बहुत से मामले पर एक साथ सुनवाई हो रही है।