मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर एक बार फिर राजनीति गरमा गयी है. भाजपा व उसके सहयोगी दलों ने इसका समर्थन किया है. वहीं, विपक्षी पार्टियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह फैसला किया गया है ,कहीं अन्य वादों की तरह ही जुमला न बन कर रह जाये.
राजद, कांग्रेस और यूपीए के तमाम घटक दल यह बताएं कि क्या वे सवर्ण आरक्षण का स्वागत करेंगे या नहीं. आजादी के बाद 70 साल में 45 साल तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस हमेशा सवर्णों का वोट लेती रही, लेकिन उन्हें कभी आरक्षण नहीं दिया.
सुशील कुमार मोदी, उपमुख्यमंत्री
गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का केंद्र का फैसला अच्छा है. इससे सवर्णों को लाभ होगा. हमलोगों ने बिहार में वर्ष 2006 में सवर्ण आयोग गठित किया था. इसका मकसद गरीब सवर्णों की हालत जानना था. इसे लागु करने के लिए संवैधानिक व्यवस्था की जरूरत है.
वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण मिलने के वे पक्षधर हैं. लेकिन, जातीय जनगणना रिपोर्ट को प्रकाशित कर अन्य जात के लोगों को भी संख्या अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. मोदी सरकार की यह घोषणा लोकसभा चुनाव को देखते हुए है.
उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, रालोसपा
गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का केंद्र सरकार का फैसला देर से ही सही लेकिन अच्छा कदम है. गरीब सवर्णों को 15% आरक्षण मिलना चाहिए. आरक्षण किस तरह मिलेगा इसका भी जिक्र होना चाहिए. आरक्षण के लिए पहले संविधान में संशोधन कर आरक्षण का दायरा साढ़े 49% से 85% किया जाये. इसमें समाज के हर तबके को न केवल बराबरी का हक मिले..
जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम
केंद्रीय मत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का फैसला स्वागतयोग्य कदम है. वह लंबे समय से इस मांग की पूरी होने की प्रतीक्षा कर रहे थे. लोकजन शक्ति पार्टी ने ही सबसे पहले यह मांग की थी. इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष धन्यवाद है. आरक्षण मिलने से गरीब सवर्णाें को काफी लाभ मिलेगा.
रामविलास पासवान, राष्ट्रीय अध्यक्ष, लोजपा
गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने से पिछड़े सवर्णों को भी विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जाना संभव हो सकेगा. मंडल आयोग की सिफारिशों को केंद्रीय स्तर पर लागू करने का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने वर्ष 1990 में किया था. उन्होंने इस आयोग के सुझावों के साथ सवर्णों में आर्थिक रूप से पिछड़ों को भी 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी. मौजूदा सरकार ने इसे पूरा करने का काम किया है.
केसी त्यागी, प्रधान महासचिव, जदयू
अगर 15 फीसदी आबादी के लिए 10 फीसदी आरक्षण लाया जा रहा है, तो 85 फीसदी के लिए आरक्षण 90 प्रतिशत कर देना चाहिए. सरकार को सामाजिक और जातीय जनगणना को सार्वजनिक करना चाहिए. संविधान हमें इसकी इजाजत देता है या नहीं यह भी देखा जाना चाहिए. आरक्षण की व्यवस्था बेरोजगारी दूर करने के लिए नहीं की गयी थी, बल्कि सामाजिक समानता के लिए यह व्यवस्था की गयी थी.
तेजस्वी प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष
गरीब सवर्णों को आरक्षण की आवश्यकता है. लेकिन, मोदी सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा कर सवर्णों को झुनझुना दिखाया है. साढ़े चार साल में इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका. अब चुनावी समय में लॉलीपॉप देने की बात कर रहे हैं. इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा. यह केवल चुनावी बिल बन कर रह जायेगा.
देवेंद्र प्रसाद यादव, प्रदेश अध्यक्ष, सपा
जननायक कर्पूरी ठाकुर ने सबसे पहले गरीब सवर्णों को तीन फीसदी आरक्षण दिया था. कर्पूरी ठाकुर के फाॅर्मूले को मोदी सरकार को लागू करनी चाहिए. गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिये जाने का फैसला लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागतयोग्य कदम उठाया है. यह केंद्र सरकार का अच्छा कदम है. इससे गरीब सवर्णों को लाभ मिलेगा. लेकिन, एससी-एसटी का आरक्षण सुरक्षित रहे इसका भी ख्याल केंद्र सरकार को रखने की जरूरत है.
ललन पासवान, रालोसपा