जब बिहार में किसी भी चीजो की बन्दी हो रही है तो मामला और भी भयंकर रूप धारण कर ले रहा है जैसे शराब बन्दी हुई तो शराब पीकर मरने वालो की संख्या काफी बढ़ गई थी दूसरा क्या हुआ “दहेज बन्दी” अब दहेज बन्दी कानून बनने के बाद और भी महिलाओं पर अत्याचार और दुष्प्रभाव इसका देखने को मिल रहा है लोग दहेज के लिए आए दिन अपने घर में बहुओं के साथ मारपीट घरेलू हिंसा दहेज उत्पीड़न का मामला काफी प्रकाश में आ रहा है। ऐसी ही घटना कटेया प्रखंड के जयपुर गाँव की है जो सेख जैनुदिन मिया पुत्री रसीदा खातून का विवाह आज से लगभग 3 बर्ष पूर्व कल्याणपुर के ग्यासुदिन पिता हवलदार मिया के यहां हुआ था। सेख जैनुदीन अपनी पुत्री की शादी 3 शाल पहले यह सोच कर किया था की हमारी बिटिया किसी की घर की रानी बनकर रहेगी लेकिन उसे क्या पता था की दहेज के लिए हमारी बेटी आएदिन प्रताड़ित होती रहेगी।कल्याणपुर के ग्यसुदिन से शादी हुई थी जहाँ बुलेटमोटरसाइकिल एवं नगद रुपए के लिए आए दिन प्रताड़ित किया जा रहा था कभी कभी शाम को ग्यसुदिन काम से लौटने के बाद मारपीट कर घायल कर देता था। बताया जाता है की आए दिन ग्यसुदिन जहनारा खातून,रबुदीन हसबुदिन खातून,खुसबुन खातून और हवलदार मियाँ दहेज में बुलेट मोटरसाइकिल और नगद रुपए के लिए रशिदा खातून को प्रताड़ित एवं मारपीट करते रहते थे और जब ग्यसुदिन को पताचला की रशीद खातून माँ बनने वाली है तो उसे मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया गया। रशीद खातून ने भोरे थाना में एफ आई आर दर्ज कराकर न्याय की गुहार लगाई है, पुलिस प्रशासन मामले को दर्ज कर जांच में जुटी है।
अब सवाल यह है की दहेज उत्पीड़न के मामले को यदि गौर से देखा जाय तो क्या गरीब होना ही दहेज उत्पीड़न का कारण है या लड़की होना एक गुनाह है। लेकिन समाज, इस समाज में दोनों ही अभिसप्त है ऐसा नही कहा जा सकता। बिटिया किसी के सपनो की रानी बनती है, कभी माँ बाप की राजकुमारी होती है, कभी पति के घर की रानी बनती है , लेकिन गरीबी एक ऐसा चांडाल है, हर बाप को सौख होता है की अपनी बिटिया को धन दौलत देकर बिदा किया जाय ताकि कभी उसके आँखों में आँसू न आए, लेकिन कभी कभी यही गरीबी बिटिया के आँखों का आँसू बन जाता है।