आखिर कारण क्या है जो लोग लगातार नशे के आदी होते जा रहे हैं। क्या रोजमर्रा की जिंदगी में बढता तनाव लोगों को नशे का आदी बना रहा है? या फिर लोग शौक में नशा कर रहे हैं। युवा पीढ़ी लगातार नशे की चपेट में आ रही है और तो और नशे के मामले में अगर बात करें युवतियों की तो ये भी किसी से पीछे नहीं हैं। स्कूल-कालेज भी नशे से अछूते नहीं रहे।
नशीले पदार्थों को आमतौर पर 4 भागों में बांटा जाता है- अफीम व स्मेक, कोडीन, हेरोइन व ब्राउन शुगर, गांजा व गांजे से बने चरस, कोकीन, सैन्कोटिक ड्रग्स जैसे मैंड्रोक्स । ये सभी बहुत खतरनाक मादक मदार्थ हैं। छोटे नगरों व गांवों में सुल्फे गांजे ने अपने पैर पसार रखे हैं, तो बड़े नगरों में हेरोइन व ब्राउन शुगर ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। बिहार में इन का सेवन करने वालों में 14 से 25 आयुवर्ग के युवको की संख्या सब से अधिक है। नशाखोरी की वजह से युवक किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं। आर्थिक दिक्कत, नौकरी की तलाश, असफल प्रेम, मनचाही सफलता न मिलना, परीक्षा में फेल हो जाना, सुखशांति न मिलना, परिवार में इग्नोर फील करना, किसी काम में मन न लगना जैसे कितने ही कारण हैं, जिन से बचने के लिए उन्हें नशे का सेवन ही आसान व एकमात्र उपाय नजर आता है। जबकि नशा किसी समस्या का हल नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी गली-गली शराब की दुकानें व सिगरेट, पान मसाला, गुटखा आदि सहजता और सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। ग्रामीण स्तर पर महुए के साथ अन्य रसायन के मिश्रण से तैयार होने वाली देशी शराब सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो जाने से इसके लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों और स्कूली छात्राओं, महिलाओं के बीच भी गुटखा, पान मसाला, धूम्रपान की लत बढ़ने लगी है। बेरोजगारी के आलम में मानसिक टूटन के शिकार लोग भी नशे की लत अपनाने लगे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जनों युवक नशे की लत के कारण विभिन्न रोगों का शिकार होकर अकाल मृत्यु का शिकार हो चुके हैं। दूसरी ओर नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान व सामाजिक संगठनों द्वारा इस प्रवृत्ति की रोकथाम की दिशा में किए जा रहे प्रयास भी अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। इस दिशा में नशाबंदी और नशा विमुक्ति को लेकर व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। चिकित्सकों के अनुसार नशे के रूप में अल्कोहल के अत्यधिक सेवन से लीवर स्यानुतंत्र, दृष्टिहीनता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दूसरी ओर गुटखा, पान मसाला, कफ सीरफ, सुलेशन के सेवन से मुंह व फेफड़े का कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है। आए दिन खगरिया में स्मैक की भी बिक्री बहुत बढ़-चढ़कर हो रही है लेकिन खगरिया प्रशासन मूकदर्शक बनी बैठी देखती रहती है स्मैक की बिक्री आए दिन खगरिया जिले में से सटे तमाम ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में बिक्री होती है।