MADHEPURA:प्रतिपक्ष बनकर दोहरी जिम्मेदारी निभाए विपक्ष जनअधिकार छात्र परिषद छात्र नेता मिथुन यादव ने कहा कि
सन्दर्भ…
जनादेश जिसे मिला है उसके साथ सहयोग और लोकतंत्र पर खतरे की आशंका सही हो तो जमीन पर प्रतिरोध*
चुनाव का परिणाम जब से आया है तब से बिहार की विपक्षी पार्टियां को मानो लकवा मार गया है! इस बार विपक्ष का संकट सिर्फ चुनावी हार का बुखार नहीं है जो कुछ महीनों में अपने आप उतर जाएगा! यह अस्तित्व का संकट है!
चुनाव परिणाम के बाद बिहार में कोई विपक्ष भी है कि नहीं वह भी पता नहीं चलता सिवा मधेपुरा के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के जन अधिकार पार्टी (लो०) के बिना!
लगातार बिहार में लूट, हत्या, मर्डर, रेप, सुखार जारी है लेकिन राज्य सरकार चुनाव परिणाम के बाद संगठन मजबूती,मंत्रालय विस्तार और समीक्षा बैठक करने में लगे हुए हैं और विपक्ष मौन व्रत रखी हुई है.
राज्य और केंद्र सरकार की लापरवाही से मुज्जफरपुर में 200 से अधिक गरीब परिवार के बच्चों की मौत हो चुकी है. आखिरकार चुनाव परिणाम के बाद जनहित से जुड़े मुद्दे को लेकर विपक्ष क्यों चुप्पी साध रखा है.
अगर सरकार जनता की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरती तो उसकी आलोचना और विरोध करना लोकतांत्रिक अधिकार और जिम्मेदारी है! लेकिन इतना जरूरी है कि जनता की आस्था में आस्था बनाई रखी जाय!जो जनता को देश पर आसन्न खतरे के प्रति आगाह करना सच का आइना दिखाना और विनम्रता से अपनी बात सुनाना. लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था पर खतरे की आशंका अगर सही साबित होती है तो सिर्फ जुबानी विरोध नहीं बल्कि जमीन पर प्रतिरोध करना भी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है! सहकार और प्रतिरोध की इस दोहरी जिम्मेदारी को निभाना आज लोकतांत्रिक शक्तियों की सबसे बड़ी चुनौती है.