दरभंगा. एक ओर कुआ दूसरी ओर खाई शायद यह कहावत वर्तमान में बिहार के शिक्षकों पर भलीभांति लागू हो रहा है। एकओर उन्हें इस बात का भय सत्ता रहा है कि कही अभिभावकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क में आने से उन्हें कोरोना अपने चपेट में न ले ले तो दूसरी ओर भय यह भी की अगर विभागीय आदेश की अवहेलना हुई तो कही वे करवाई के जद में न आ जाए। दरअसल सम्पूर्ण बिहार में जारी लॉकडाउन के अवधि में मध्याह्न भोजन योजना की ओर से शिक्षकों के द्वारा मध्याह्न भोजन के चावल बांटने का आदेश जारी कर शिक्षकों को विद्यालय में रहने का आदेश जारी जारी कर दिया गया है जबकि प्रदेश में लगभग सभी विभाग एवं कार्यालय बन्द पड़े हुए है और जो खुले भी है वे एक तिहाई कर्मी के साथ खुले हुए है ऐसे में शिक्षकों को सीधे मैदान में झोंक देने से व्यापक आक्रोश व्याप्त है तथा वे भय के माहौल में कार्य कर रहे है। इस सम्बंध में टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिलाध्यक्ष प्रमोद मण्डल एवं जिला प्रवक्ता धनन्जय झा संयुक्त रूप ने कहा की सरकार एवं विभाग बगौर किसी सुरक्षा एवं सुविधा के शिक्षकों को मौत के मुंह मे धकेल रही है जिसका संघ विरोध करेगा और अगर अब एक भी शिक्षक की मृत्यु हुई तो संघ विभाग पर हत्या का मुकदमा करेगा। वही जिला उपाध्यक्ष राशिद अनवर, डा रंधीर राय, अरुण कुमार ने तत्काल यह आदेश वापस लेने की मांग की तो संघ के जिला कोषाध्यक्ष शिबली अंसारी, जिला सचिव मो ताजुद्दीन, राजीव पासवान ने इसे शिक्षक एवं उनके परिजन को संकट में झोंकने जैसे बताया।वही संघ के कार्यकारिणी सदस्य सोनू मिश्रा एवं प्रवीण नायक ने कहा कि सरकार एवं विभाग पहले शिक्षकों को सुरक्षा किट उपलब्ध करवाए तथा सभी शिक्षकों को कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दे। बगैर किसी सुरक्षा के शिक्षकों से इसप्रकार का कार्य लेना शिक्षकों को मौत के मुँह में धकेलने जैसा है। नियोजित शिक्षकों को तो अनुकंपा एवं पेंशन का भी लाभ नही है अगर उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके परिजन तो सड़क पर आ जाएंगे तथा उनके पत्नी एवं बच्चों का क्या होगा। विभाग इस संदर्भ में बगैर विचार किये पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है।