जमुई जिले के खैरा थाना क्षेत्र के पूर्णा खैरा गांव में दबंगों की दबंगई के कारण एक महिला अपने 4 साल के बच्चे को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। अपना घर रहने के बावजूद भी 7 दिन पहले उस महिला को मारपीट कर दबंगों ने उसके घर से भगा दिया। जिसके बाद वह अपनी बेटी के साथ बरसात के इस मौसम में खुले आसमान तले सोने को विवश है। स्थिति यह हो गई है कि कभी किसी के यहां तो कभी किसी दूसरे के यहां मांग कर वह भोजन कर रही है। पर इसकी सुधि आज तक किसी प्रशासनिक पदाधिकारी ने नहीं ली है। शनिवार को दोनों मां बेटी के पूरी रात बारिश में भीग जाने के कारण जब उसकी बेटी को बुखार आ गया तब उसने स्थानीय लोगों से मदद मांगी तथा अपनी बेटी को खाना खिलाया। जानकारी के अनुसार थाना क्षेत्र के पूर्णा खैरा गांव निवासी पत्नी नीतू देवी को गांव के ही दुखी रविदास व उसके परिजनों ने मारपीट कर 7 दिन पहले महिला को घर से भगा दिया। जिसके बाद वह लगातार सात दिनों से यहां वहां भटक रही है। महिला ने बताया कि मैं अपनी बेटी को लेकर कभी किसी के घर में छुप जाती हूं तो कभी बाहर ही सोना पड़ता है। इसके अलावा यहां-वहां लोगों से मांग कर मैं भोजन कर रही हूं तथा किसी तरह 7 दिनों से रहने को विवश हूं। पुलिस से भी लगा चुकी है गुहार।
गांव के दबंग की दबंगई से परेशान तथा सिस्टम से लगातार सुरक्षा के लिए न्याय गुहार लगाने के बाद थक हारकर थाना के मेन गेट के जमीन पर पीड़िता अपनी बच्ची के साथ धरना पर बैठ गई। पीड़िता के थाना गेट जो मुख्य सड़क से गुजरने वाले लोगों से भीड़ जमा हो गया।पीड़िता के इस हरकत से खैरा थाना के पुलिस हक्के बक्के हो गए। मौके पर मौजूद पत्रकार द्वारा पूछने पर पीड़िता ने बताया कि घर के बगल के दबंगई से परेशान जनता दरबार मे एसपी से दो बार न्याय की गुहार लगा चुका हूं। पीड़िता ने बारी बारी से सभी पुलिस पदाधिकारी को दिए गए आवेदन की प्रति भी दिखा रही थी। तब जाकर गांव के दबंग की दबंगई के साथ जमुई पुलिस की कारिस्तानी का साफ पता चल पाया।एसपी को थाने पर आने की जिद पर बैठी पीड़िता थाने के मुख्य गेट पर बैठी रही। खैरा थाना प्रभारी ने मीडिया में फैलती खबर और माहौल की संवेदनशीलता को समझते हुए त्वरित केस दर्ज कर पीड़िता के साथ पुलिस टीम को गांव भेजकर छानबीन में जुट गई। पीड़िता को उक्त दबंग को जल्द ही गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है।
पीड़िता ने बताया कि इसे लेकर मैंने पूर्व में खैरा थाना में आवेदन देकर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी. लेकिन तत्कालीन थानाध्यक्ष के द्वारा मामले में कोई पहल नहीं की गई. जिसके बाद मैंने दो दफा पुलिस अधीक्षक से जनता दरबार में इसकी शिकायत की, लेकिन बावजूद इसके मामले में किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद आरोपी पक्ष के लोगों का हौसला और बढ़ता चला गया तथा वह मुझे घर से दौड़ा कर मारपीट करते हैं. वह मुझे घर में नहीं जाने देते. उसने बताया कि आरोपी पक्ष के लोगों ने मेरे घर के छप्पर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है, जिस कारण घर में घुटनों तक पानी जमा हो गया है. मैं किसी तरह उसके बीच भी रह रही थी. पर 7 दिन पहले उन लोगों ने मुझे घर से भगा दिया है. और जब मैं घर जाने का प्रयास करती हूं तब वह मुझे मेरे साथ मारपीट करते हैं व जान से मारने की धमकी देते हैं. उसने बताया कि मेरे पति को भी उन्होंने जान से मारने की धमकी दी है और कहा है कि यदि वह गांव लौट कर आया तो उसकी जान ले लेंगे. जिसके बाद मेरा पति दिल्ली में रहता है. वह डर के कारण घर तक वापस नहीं आता. ऐसे में हम कहां जाएं क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
अपनी बच्ची के साथ इज्जत की जिंदगी जीने की चाहत लिए एक औरत आज दर दर भटक रही है।सिस्टम भी ऐसी की मानो उससे भरोसा ही टूट रहा है।ऐसे में अब एक औरत को न्याय के लिए सड़क पर बैठी पुलिस के द्वार पर गुहार लगाने को मजबूर मात्र है।पीड़िता की गुहार पुलिसिया कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।