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पटना विश्वविद्यालय सह जाप छात्र नेता मनिष यादव पहुँचे मुजफ्फरपुर

मुज्जफरपुर में चमकी बुखार से बचाव के लिए राज्य सरकार की ओर से न तो पटना से और न ही दिल्ली से डॉक्टरों की टीम भेजी जा सकी जिस कारण आज तक सैकड़ों की संख्या में बच्चे काल के गाल में समा गए। हद तो यह है कि जो काम सरकार को करना चाहिए वह काम आज जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजेश रंजन पप्पू यादव जी के द्वारा पटना सहित अन्य स्थानों से डॉक्टरों की टीम के साथ मुजफ्फरपुर एवं वैशाली जिला के भगवानपुर में जागरूकता कैंप लगाकर और एंबुलेंस डॉक्टरो की टीम के साथ वहां पर बच्चों का इलाज करवाकर यह साबित कर दिया की इच्छाशक्ति होने पर कुछ भी किया जा सकता है।

लेकिन आज न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने गरीब बच्चों और मासूमों को बचाने के लिए इच्छाशक्ति दिखाई जिस कारण मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों में चमकी बुखार का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है। और बच्चे अकारण मौत के गाल में समाए जा रहे हैं राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की इसी नकारे- पन के कारण आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं पटना उच्च न्यायालय ने भी दोनों सरकारों पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि बच्चों के बचाव के लिए जो उपाय किया जाना चाहिए था वह उपाय नहीं हो सका और न ही कुछ बच्चों का समुचित इलाज ही हो सका। राज्य सरकार से तथा केंद्र से केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से 1 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगा है और उसमें यह स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर क्यों बच्चों को बचाने में कोताही बरती गई और राज्य सरकार ने बच्चों के बचाव के लिए कोई तत्पर उपाय क्यों नहीं किया जबकि पिछले 10 वर्षों से इस बीमारी से हजारों की संख्या में बच्चे की मृत्यु हो चुकी है।

क्या राज्य सरकार और केंद्र सरकार में इच्छा शक्ति नहीं है यह स्पष्ट करने को भी कहा है। अमर ने आगे कहा कि कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय को सच्चाई से अवगत कराने का काम करेगी अन्यथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय को इस तरह की गैर जवाबदेह सरकार पर कार्रवाई करनी चाहिए जिससे कि देश में सुशासन का माहौल कायम हो सके और मासूमों की मौत अकाल मृत्यु से एवं असमय नहीं हो सके । साथ ही साथ यह भी मांग कि है कि बिहार तथा केंद्र में जो स्वास्थ्य मंत्री हैं दोनो बीमारियों से निपटने के लिए गंभीर नहीं दिख रहे हैं। इसलिए उन पर कार्रवाई का भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय को संज्ञान लेना चाहिए।

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