समस्तीपुर आईएसबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज पुणे के डीन और आईईईई के हुमेटेरीयन टेक्नोलॉजी के महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और गोआ राज्यों के चेयरमैन चाणक्य कुमार ने यह कहा कि राज्य सरकार राज्य के अन्य क्षेत्रों की तरह बिहार में ढहती शिक्षा व्यवस्था के प्रति रुचि दिखाते हुये सम्पूर्ण शिक्षा को दुरुस्त करना चाहिए। तांकि राज्य का नाम इस क्षेत्र में देश और दुनिया मे और फैले साथ ही यहाँ के लोगों का विकास हो सके। वह स्थानीय एक होटल में पत्रकारों से बातें करने के क्रम में कही। उन्होंने कहा कि यह नही की राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में कार्य नही हो रही है।
लेकिन इसे और मजबूत करने की जरूरत है। सरकारी विद्यालयों, वित्त रहित महाविद्यालयों में कार्य कर रहे शिक्षकों को समान कार्य के लिये समान वेतन दिया जाना चाहिये। छात्रों के अनुरूप विद्यालयों, महाविद्यालयों की स्थापना सरकारी स्तर पर हो शिक्षालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा खेल कूद आधुनिकरण शिक्षा के लिए जरूरत चीजे कंप्यूटर पुस्तकालयों, खेल मैदान, चारदिवारी के साथ-साथ विषय वार शिक्षकों की व्यवस्था किया जाना चाहिए। चाणक्य कुमार ने कहा कि सरकार अपने वित्तीय संकट का रोना रो कर शिक्षकों के हितों की अनदेखी नही कर सकती है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को बिना पगार दिये उनसे काम कराना जब सरकार की नजर में गुनाह है और सरकारी स्तर पर इसके लिए कानून बने है तो शिक्षको के लिये भी सरकार को सोंचना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश का पहला राज्य है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति बारहवीं के स्कूल कॉलेज तथा परीक्षा का संचालन करती है। परीक्षा समिति को सिर्फ परीक्षा लेने का दायित्व देना चाहिये था।
उन्होंने कहा कि राज्य में 22 विश्वविद्यालय 744 कॉलेज है। जो आबादी के अनुरूप काफी कम है। विडंबना इस बात की है की पूरे राज्य में एक यूनिवर्सिटी पटना है जिसे नैक के द्वारा ए ग्रेड मिल पाया है। स्थिति यह कि वह यूनिवर्सिटी काफी मशक्कत के बाद सेल्फ स्टडी रिपोर्ट आजतक जमा नही कर पाया है। अन्य यूनिवर्सिटी के महाविद्यालयों ग्रेड ए पाने में पिछड़ गये। इस मौके पर प्रोफेसर अमरेश कुमार इत्यादि लोग उपस्थित थे।